परिचय:
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नीरज चोपड़ा बने भारतीय सेना के मानद लेफ्टिनेंट कर्नल — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया सम्मानित
भारत के गौरव और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इस बार मैदान पर नहीं, बल्कि भारतीय सेना के सम्मान मंच पर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल (Honorary Lieutenant Colonel) की रैंक प्रदान की। यह सम्मान न केवल उनकी खेल उपलब्धियों का प्रतीक है बल्कि यह देश के प्रति उनके समर्पण और अनुशासन की भी पहचान है।
नीरज चोपड़ा – भारत के गौरव का नया अध्याय
नीरज चोपड़ा का नाम आज हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। 2021 के टोक्यो ओलंपिक में जब उन्होंने 87.58 मीटर का थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीता, तो वह देश के पहले ट्रैक एंड फील्ड ओलंपिक चैंपियन बन गए। उस पल ने पूरे भारत को भावनाओं से भर दिया था।
अब, भारतीय सेना ने उन्हें जो मानद उपाधि दी है, वह उनकी मेहनत, अनुशासन और देशभक्ति की भावना को और ऊँचाई देती है।
टेरिटोरियल आर्मी क्या है?
टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) भारतीय सेना का एक विशेष अंग है, जिसमें नागरिक लोग स्वेच्छा से जुड़कर देश की सेवा कर सकते हैं। यह सेना का रिज़र्व फोर्स है, जो आपातकाल, प्राकृतिक आपदा या राष्ट्रीय संकट के समय सक्रिय भूमिका निभाती है।
इसमें पहले भी कई प्रसिद्ध हस्तियों को मानद रैंक दी जा चुकी है — जैसे अभिनेता महेंद्र सिंह धोनी और कपिल देव को भी टेरिटोरियल आर्मी में सम्मानित किया गया था।
सम्मान समारोह का विवरण
सम्मान समारोह नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जहाँ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने औपचारिक रूप से नीरज चोपड़ा को "मानद लेफ्टिनेंट कर्नल" की रैंक पहनाई।
समारोह के दौरान भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी, खेल मंत्रालय के प्रतिनिधि और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा —
“नीरज चोपड़ा ने मैदान पर जो शौर्य दिखाया है, वह भारतीय सेना की भावना से मेल खाता है। उनकी यह उपाधि युवा पीढ़ी को देशभक्ति और अनुशासन का संदेश देगी।”
नीरज चोपड़ा की प्रतिक्रिया
रैंक मिलने के बाद नीरज चोपड़ा ने गर्व और विनम्रता से कहा —
“यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। भारतीय सेना का हिस्सा बनना हमेशा से मेरा सपना रहा है। मैं अपने देश की सेवा खेल के साथ-साथ इस रूप में भी करना चाहता हूँ।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह उपाधि उन्हें अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को और गंभीरता से निभाने की प्रेरणा देगी।
खेल से सेना तक – अनुशासन की यात्रा
नीरज चोपड़ा का जीवन अनुशासन, समर्पण और मेहनत का उदाहरण है।
हरियाणा के एक छोटे से गाँव से निकलकर उन्होंने जो सफलता हासिल की, वह बताती है कि सच्चा देशप्रेम केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्म से साबित होता है।
उनकी फिटनेस, समय पालन और प्रशिक्षण की आदतें सेना के आदर्शों से मेल खाती हैं।
शायद इसी कारण उन्हें यह मानद रैंक दी गई — क्योंकि वह न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि एक प्रेरणा के प्रतीक भी हैं।
देश के युवाओं के लिए प्रेरणा
आज की युवा पीढ़ी के लिए नीरज चोपड़ा केवल एक एथलीट नहीं, बल्कि “देशभक्ति और अनुशासन के आदर्श” हैं।
सेना का यह सम्मान यह दर्शाता है कि खेल और सेवा भावना दोनों एक साथ चल सकते हैं।
यह हर युवा को संदेश देता है कि अगर आप अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, तो देश आपको हमेशा सम्मानित करता है।
भारतीय सेना और खेल जगत के रिश्ते
भारतीय सेना ने हमेशा खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया है। सेना के कई खिलाड़ी जैसे राज्यवर्धन सिंह राठौर, जयपाल सिंह, मनोज पांडे आदि ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है।
नीरज चोपड़ा भी अब उस गौरवशाली सूची का हिस्सा बन गए हैं, जिन्होंने खेल के साथ-साथ वर्दी का भी मान बढ़ाया है।
नीरज की आगामी योजनाएँ
मानद रैंक मिलने के बाद नीरज अब पेरिस ओलंपिक 2028 और आगामी विश्व चैंपियनशिप की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “मैं चाहता हूँ कि भारत भाला फेंक में लगातार स्वर्ण पदक जीतता रहे। यह सम्मान मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा देगा।”
निष्कर्ष
नीरज चोपड़ा का यह नया सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
एक खिलाड़ी, जिसने ओलंपिक में देश को स्वर्ण दिलाया, अब सेना के मानद अधिकारी के रूप में भी देश की सेवा करेंगे।
उनकी यह उपलब्धि बताती है कि देशभक्ति केवल वर्दी या पदक में नहीं, बल्कि हर कर्म में होती है।
यह कदम खेल, अनुशासन और देशसेवा की त्रिवेणी का सुंदर उदाहरण है — जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
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